राधा चेन्नई कम्पनी में अल्पसंख्यक मोर्चा और ठेका मजदूर संघ ने की हड़ताल (हम दो को नौकरी दे दो, हड़ताल खत्म कर देंगे,खुद मैनेज होने नेता चले गए मैनेजमेंट के पास)
हड़ताल की रणनीति ने कर दिया पूरा खेल वही नेता बनने की चाह और सोहागपुर कालरी एरिया में अपने वर्चस्व की मनोकामना ने पूरा खेल बिगाड़ दिया,पूर्व विधायक के सपोर्ट से ठेका मजदूर संघ का निर्माण कर धोलू कम्पनी के भोले भाले कर्मचारियों को यूनियन का सदस्य और हजार रुपए की रशीद काटकर यूनियन का निर्माण हुआ,यूनियन निर्माण होते ही रणनीति के तहत हड़ताल और अपने करीबियों को नौकरी दिलाने का खेल हुआ चालू जिसमे यूनियन के अध्यक्ष , सचिव,महामंत्री तो तुरंत नौकरी में उतर गए परंतु इस खेल में एक लोचा हो गया की यूनियन के पदाधिकारी ने राधे चेन्नई कम्पनी के एच आर मैनेजर को मां बहन की गाली गलौच कर दी फिर क्या था मैनेजर ने महोदय जी को दिखा दिया बाहर का रास्ता और यूनियन पदाधिकारी महोदय जी को नौकरी से हाथ धोना पड गया।
अब हम बताते हैं की असल बात क्या है बात यह है कि कुछ महीने पहले अमलाई ओसीएम भारत की जानी मानी कंपनी राधे चेन्नई आई युवाओं को आस जगी कि अब यूवाओ को रोजगार मिलेगा और रोजगार मिला है,पर वहीं पूर्व में कार्यरत धोलू कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों ने भी अपने रोजगार के लिए कमर कस ली परंतु ऐसा नहीं हुआ कि कम्पनी ने रोजगार नंही दिया ,सूत्र बताते हैं की लगभग 46 लोगो को धोलू कम्पनी के कर्मचारियों को रोजगार दिया गया है।
शहडोल। हड़ताल बेरोजगारी को समाप्त करने और नगर के युवाओं को रोजगार दिलाने के नाम पर और अपनी नेतागिरी चमकाने के नाम पर एक अच्छी सोची समझी रणनीति का हिस्सा बना हुआ है,हड़ताल करो और करो युवाओं के साथ रोजगार के नाम पर खिलवाड़।
नौकरी गई तो हड़ताल का सहारा और युवाओं को रखा धोखे में
जैसे ही यूनियन पदाधिकारी की नौकरी राधे चेन्नई से गई तो यूवाओ को बरगलाने का काम भी चालू हो गया और खुले शब्दों में एलान कर दिया गया कि सभी को नौकरी मिलेंगे और हम दिलाएंगे नौकरी,अब युवा ही अपना विवेक लगाए कि जब नौकरी दिलाने वाले की ही चली गई तो अब रोटी सेंकने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा, कम से कम यूवाओ के बहाने मैं भी नौकरी में लग जाऊंगा, पर शायद कम्पनी के एच आर मैनेजर को ये गवारा नहीं था की जो उसे गालियों से सुशोभित करे उसको पुन: नौकरी दी जाए।
सूत्रों की माने तो सूर्य की लालिमा की तरह जगमगाता प्रकाश कम्पनी में अनुनय विनती करके पुन: नौकरी मांगने के लिए गया था परंतु प्रबंधन ने साफ साफ दो टूक कह दिया की कम्पनी बंद करनी पडनी जाए पर नेता जी को तो इस कम्पनी में नहीं रखूंगा। बस फिर क्या था नेता जी ने हड़ताल का दाव अपने सगो,सम्बन्धी, और कुछ यूवाओ को झांसे में लाकर हड़ताल की ओर चल दिए।
करीब एक माह पहले भी राधा चेन्नई के विरुद्ध 13 अप्रैल को हड़ताल का बिगुल फूंका गया था उस बिल्कुल में कुछ अनजान लोगों को लेकर हड़ताल जारी की गई थी हड़ताल में हड़तालियों द्वारा सब एरिया ऑफिस अमलाई में समझौता हुआ था की हमारी सूची के आधार पर कंपनी में कर्मचारियों की भर्ती की जाए और इस समझौते में यूनियन के बड़े नेता भी शामिल हुए थे के द्वारा की गई यूनियन के द्वारा दी गई जिसमें चेन्नई के एचआर मैनेजर दो लोगों की भर्ती का आश्वासन दिया और कहा कि आवश्यकता पड़ने पर हम और कर्मचारी की भर्ती करेंगे अभी नहीं था कि कम्पनी ने अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष रमजान शेख के एक आदमी की भर्ती भी की और कुछ समय मांगा परंतु नेतागिरी की चाह ने एक माह भी इंतजार करना उचित नहीं समझा और शुरू हो गया ज्ञापन, शिकायतो का दौर।
सूत्रों की माने तो दो लोगो को नौकरी दे दो हम स्ट्राइक को मैनेज कर लेगे
सूत्रों से जानकारी मिली है कि अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष महोदय ने अपने हड़ताली साथी के साथ मिलकर कम्पनी के दिन रात चक्कर काट रहे हैं और जुगत में है की नौकरी मिल जाए,और बात यही खत्म नहीं होती है सुनने में तो ये भी आया कि दोनो नेताओ ने यूवाओ को अंधेरे में रखकर खुद की नौकरी की भी बात कर डाली,और यह भी कह दिया कि यदि हम दोनो को नौकरी में रख लोगे तो हम पूरी स्ट्राइक भी खत्म करा देंगे,मतलब कि मैनेज हो जाएंगे,अब भला हड़ताल में गया बेचारा युवा को क्या पता कि पूरा खेल बेरोजगार युवाओं के लिए नहीं खुद के रोजगार के लिए है और सूत्रों की माने तो यदि सूची की बात की जाए तो सबसे पहले स्वर्ण अक्षरों में इन दोनो नेताओं का ही नाम लिखा है और बाद में अन्य का।
शिकायत के बाद 20 मई को फिर हुई हड़ताल,हुआ लाउड स्पीकर से प्रचार,आंदोलन हुआ फेल,144 का खुले आम हुआ उलंघन
शिकायत के बाद और मैनेजमेंट ने दोनो को नौकरी न देने का पूरा विश्वास दिलाया, कि आपको नौकरी नहीं दे पाएंगे,आग बबूला हुए दोनो नेताओ ने फिर षड्यंत्र पूर्वक हड़ताल और युवा बेरोजगार लोगो को नौकरी का लालच देकर फिर ले आए और तपती गर्मी में मोहरा बनाकर युवाओ को खड़ा कर दिया,और प्रशासनिक अधिकारियों के आने पर कोने की राजनीति चालू हो गई जब बात युवाओं की थी तो कोने में राजनीति क्यों.. बात सबके सामने ही होनी थी,कोने।में तो केवल सेटिंग ही का अर्थ निकलता है लगभग 30 से 40 युवा गए रोजगार को लेने पर पुलिस ने अंदर जाने तक नहीं दिया और गेट पर ही संतोष करना पड़ा।
इस आंदोलन की तैयारी लगभग 15 दिनों से चल रही थी और इस आंदोलन को बृहद रूप देने के लिए लाउडस्पीकर का भी भरपूर उपयोग किया गया था परंतु 40-50 लोगो से ही संतोष करना पड़ा और शाम होते होते केवल 15- 20 लोग ही बचे और फिर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ शाम 7 बजे बातचीत का दौर शुरू हुआ और अब दो दिन बाद कुछ जन प्रतिनिधियों के साथ(जिनका इस आंदोलन से कोई लेना देना नही है),प्रशासनिक अधिकारियों और कम्पनी के मध्य कोई फैसला हो पाए और बेरोजगारों को रोजगार मिल सके, हड़ताल में गए यूवाओ के बीच से ही आवाज आने लगी कि इस आंदोलन में कोरेक्स पीकर भी लोग रोजगार मांगने आए थे।
हमारी प्रशासनिक अधिकारियों के सामने बात हुई कि कम्पनी आवश्यकता के आधार पर जरूर रोजगार देगी और हमारी पहली प्राथमिकता भी लोकल रोजगार है- एच आर मैनेजर,राधे चेन्नई