मप्र की 5 हस्तियों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने इसका ऐलान किया। प्रदेश के तीन लोगों को कला, एक को साहित्य और भोपाल के डॉ. एनपी मिश्रा को मरणोपरांत यह सम्मान देने की घोषणा की गई। प्रदेश में चिकित्सा जगत में पितामह के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. एनपी मिश्रा को मरणोपरांत पद्मश्री अवार्ड दिया जाएगा। मध्यप्रदेश के अर्जुन सिंह धुर्वे (कला), अवध किशोर जाड़िया (साहित्य और शिक्षा ), रामसहाय पांडे (कला), दुर्गा बाई व्याम (कला) को भी पद्मश्री अवार्ड मिलेगा। इसकी घोषणा मंगलवार को की गई है।

जानिए पद्मश्री अवॉर्ड पाने वालों के बारे में…

गैस त्रासदी के समय डॉ.एनपी मिश्रा को उल्लेखनीय काम के लिए याद जाता है
यूनाइटेड डॉक्टर फेडरेशन के महासचिव डॉ. ललित श्रीवास्तव ने बताया कि भोपाल गैस कांड की रात उन्होंने हॉस्टल के सभी लड़कों को अस्पताल में बुलवाकर ड्यूटी पर लगा दिया। उनके कमरे में जितनी दवाएं थी, सब बांट दीं। इस दौरान सेना के दो ट्रकों में करीब 50 सैनिकों को बेहोशी की हालत में लाया गया। वे उनके इलाज के लिए सक्रिय हो गए। हर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने का फरमान सुना दिया। करीब 3 घंटे बाद तो लाशें मिलने की सूचना आने लगी। इस दौरान वे खुद माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे थे, लेकिन उफ तक नहीं की।

कार्डियोलॉजी पर लिखी है किताब
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि डॉ. मिश्रा ने कार्डियोलॉजी पर एक किताब लिखी थी, जो डीएम कार्डियोलॉजी के छात्र पढ़ते हैं। इस किताब का नाम प्रोग्रेस एंड कार्डियोलॉजी है। इसका विमोचन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा और ब्रिटेन के युवराज के हाथों किया गया था। डॉ. मिश्रा ने लाखों मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया और हजारों की संख्या में अच्छे डॉक्टर तैयार किए। उनका जीवन बहुत निष्पक्ष और स्पष्टवादी रहा है। वह हमेशा डॉक्टरों और छात्रों की प्रति संवेदनशील रहते थे। भोपाल गैस त्रासदी के समय डॉ.एनपी मिश्रा ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया था। उन्होंने कम समय में ऐसी व्यवस्था जमाई कि 10 हजार 700 पीड़ितों का हमीदिया में इलाज संभव हो सकता। रात दिन काम करके राहत पहुंचाई थी। सन 1992 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिसिन ने उन्हें प्रतिष्ठित सर्वोच्च सम्मान डॉ. बीसी राय अवार्ड से अलंकृत किया। 1995 में एसोसिएशन आफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया ने गिफ्टेड टीचर अवार्ड से सम्मानित किया।

दुर्गा बाई लोककथा की चित्रकारी के लिए जानी जाती हैं
दुर्गाबाई की चित्रकारी की सर्वाधिक आकर्षक विशेषता कथा कहने की उनकी क्षमता है। उनके चित्र अधिकांशत: गोंड प्रधान समुदाय के देवकुल से लिए गए हैं। दुर्गाबाई को लोककथाओं को चित्रित करने में भी मजा आता है। इसके लिए वह अपनी दादी की आभारी हैं जो उन्‍हें अनेक कहानियां कहती थीं। दुर्गाबाई की कृति उनके जन्‍म स्‍थान बुरबासपुर, मध्‍यप्रदेश के मंडला जिले के गांव पर आधारित है। दुर्गाबाई जब छह वर्ष की थीं तभी से उन्‍होंने अपनी माता के बगल में बैठकर डिगना की कला सीखी जो शादी-विवाहों और उत्‍सवों के मौकों पर घरों की दीवारों और फर्शों पर चित्रित किए जाने वाली परंपरागत डिजाइन है।

दुर्गा बाई के घर उत्साह का माहौल

पद्मश्री अवॉर्ड की घोषणा के बाद दुर्गा बाई के भोपाल के कोटरा कमल नगर स्थित घर पर उत्साह का माहौल है। मोहल्लावासी और रिश्तेदार बैंड बाजा के साथ उनके घर पहुंचकर उन्हें बधाई दे रहे हैं। दुर्गा बाई ने कहा कि यह मेरा नहीं इस कला डिगना का सम्मान है। जब तक जीवित रहूंगी। यह कला करती रहूंगी और इसे दुनिया में फैलाती रहूंगी। पति सुभाष सिंह व्याम के सपोर्ट और साथ से ही यह कर पाई और सम्मान तक पहुंच पाई। अंतिम सांस तक यह काम करती रहूंगी। डिगना कला के लिए दुर्गा बाई और उनके पति मिलकर एक संस्था चला रहे है। बेटा मान सिंह और बेटी रोशनी ने भी यह कला सीखी है। उनके पति ने कहा जैसे मेरे जीवन का सपना पूरा हो गया है। दीवार, मिट्टी, गोबर से इस कला को आज कैनवास तक ले आए हैं। दुर्गा बाई ने कहा है आज भूख नहीं लग रही है, आज और कुछ नहीं चाहिए।

पुलिस सेवा अवॉर्ड की घोषणा, MP के खाते में 24 पदक
केंद्र सरकार ने पुलिस सेवा के अवॉर्ड की घोषणा कर दी है। मध्य प्रदेश के खाते में 24 पदक आए हैं। IPS तरुण नायक, सब इंस्पेक्टर हिम्मत सिंह और हेड कांस्टेबल बैशाखूलाल को वीरता के लिए पुलिस पदक दिया गया है। ADG आरके गुप्ता, DSP सुभाष सिंह, DGP के स्टेनो निरंजन कुमार श्रीवास्तव और CID में हैड कांस्टेबल लल्लूराम त्यागी को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक मिला है। इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी सहित 15 पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *