शासन की योजना ग्रीष्म कालीन खेल शिविर की धज्जियां उड़ाते ब्लाक क्वाडिनेटर रजनी…?

शहडोल। मध्य प्रदेश शासन के खेल एवं युवा कल्याण विभाग, भोपाल की योजना तथा युवाओं को खेल के प्रति प्रोत्साहित करने हेतु ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर लगाए जाने की योजना प्रतिवर्षानुसार रहती है। खेल प्रशिक्षण शिविर का आयोजन 1 मई से 30 मई तक ब्लाक से लेकर जिले तक में आयोजन किया जाना सुनिश्चित हुआ था,जिसके लिए प्रशासनिक तौर पर बैठक के आयोजन के साथ साथ जिम्मेदारियों का भी बंटवारा किया गया था। बैठक में संभागीय कमिश्नर से लेकर अन्य विभाग सहित आदिवासी स्कूल विभाग ने भी ग्रीष्म कालीन खेल प्रशिक्षण की भूमिका में अपना योगदान जीदिया था,परंतु जमीन पर कुछ भी नहीं है।

आइए समझते हैं प्रशिक्षण योजना की कैसे धज्जियां उड़ाती ब्लाक क्विडिनेटर रजनी

ग्रीष्म कालीन खेल प्रशिक्षण की प्रारंभ 1 मई से 30 मई तक शासन की योजना से प्रारंभ होना था़,और लगभग 10 खेलो का प्रशिक्षण दिया जाना था,परंतु बुढार की ब्लाक क्वाडिनेटर रजनी कभी भी अपने ब्लाक में नजर आई हैं। एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी बुढार के मैदान खाली पड़े हैं जबकि यहां प्रतिवर्ष खेल प्रशिक्षण होता था। ब्लाक के क्वाडिनेटर का आलम यह है कि दूसरे के तवे में रोटी सिकनी चाहिए,काम कोई करे,कैंप कोई लगाए,बस मैडम 1 माह में केवल 2 या 3 बार आकर नाम लिखकर,और फर्जी बिल लगाकर अपना काम साध लेती हैं।

खेल प्रशिक्षण शिविर के लिए सूत्रों की जानकारी के अनुसार 3000 रुपए ग्राउंड मेनटेनेस के लिए, उपयुक्त खेल सामग्री, बच्चो की रिप्रेशमेंट के रूप में नाश्ता तथा प्रशिक्षक को 7000 रुपए खेल प्रशिक्षण को दिया जाना होता है,परंतु ब्लाक क्वाडीनेटर रजनी ये पूरी राशि हजम कर जाति है, इन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि खेल प्रशिक्षण सुबह और शाम दोनो समय लगना है और दोनो समय ब्लाक क्वाडिनेटर को प्रशिक्षण के लिए ग्राउंड में रहकर प्रशिक्षण देना होता है,परंतु हम तो यह भी नही समझ पा रहे हैं कि मैडम किस खेल के प्रशिक्षण में पारंगत हैं और कौन सा खेल खेल रही है, जानकर सूत्र बताते है की मैडम फर्जी बिलों को लगाने के खेल में महारत हासिल की है और शासन की योजना की धज्जियां उड़ाने ने कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। विभाग को धोखे में रखकर खेल प्रशिक्षण जैसी योजना को धत बताकर राशि डकारने की शिकायत तेज तर्रार कलेक्टर महोदय से, लोकल स्तर पर खेल अधिकारी के अतिरिक्त प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तथा संचालक खेल विभाग को जल्द ही जांच के लिए भेजने पर खेल विभाग में पदस्थ क्वाडिनेट रजनी की पोल खुलेगी और हकीकत सामने आएगी।

खेल प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से अच्छे बच्चो का चयन भी किया जाता है जो समय समय पर आयोजित प्रतिभा चयन के लिए तैयार होते हैं परंतु मैडम की कार्यप्रणाली बच्चो का भविष्य को निखारने की जगह, बच्चों की प्रतिभा का गर्त में डालने का कार्य और बच्चो की खेल सामग्री,ग्राउंड मेंटेनेंस और प्रशिक्षको का पैसा डकारने में लगी हैं।

खेल विभाग में मैडम के अलावा कई और ब्लॉक क्वाडिनेटर हैं जिनकी योग्यता केवल चाटुकारिता है और इसी चाटुकारिता के दम पर अपने कार्यों से बचते रहते हैं और यदि इनके खेल प्रमाण पत्रों और योग्यता की जांच करा दी जाए तो इनकी पोल पूरी खुल जायेगी कि क्या ये वास्तव में योग्यताधारी है या इनका दम केवल चाटुकारिता है….?

आखिर कहां लगती है ब्लॉक समन्वको की अटेंडेंस, बिना अटेंडेंस के फुल पेमेंट

जानकारी के अनुसार यह पता चला कि ब्लाकों में पदस्थ क्वाडिनेटर की उपस्थिति कोई पता ही नही जबकि शासन उपस्थिति के आधार पर ही वेतन का मूल्यांकन होता है और सूत्र बताते हैं कि अपने अपने ब्लॉक के उत्कृष्ठ विद्यालयों में इन्हे अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होती है और सुबह 10 से 5 अपनी सेवाएं भी देनी होती है परंतु ये क्वाडिनेटर अपनी मनमर्जी करते है ,इनकी उपस्थिति निकलवाकर विभाग को देखना चाहिए की वास्तव में ये उत्कृष्ठ विद्यालय साल में जाते भी है या नहीं,की केवल ऐसे ही बिना उपस्थिति के वेतन का उपभोग करते है और खेल विभाग के आदेशों को ठेंगा दिखाते हैं।

ऐसा ही ग्रीष्म कालीन प्रशिक्षण के दौरान भी मैडम करती है । एक माह के चलने वाले प्रशिक्षण में दोनो समय सुबह 5:30 से 7:30 तथा शाम 4:30 से 6:30 के समय पर इन्हे मैदान में प्रशिक्षण देना अनिवार्य है फिर प्रशिक्षण का मानदेय 7000 रुपए इनके खाते में विभाग से ट्रांसफर होना है, परंतु पिछले वर्ष 2023 में बुढार ब्लॉक में कितने प्रशिक्षक को मैडम ने 7000 रुपए ट्रांसफर किए या करवाए इसकी भी जानकारी मैडम को कलेक्टर और जिला खेल अधिकारी के समझ जल्द ही देनी होगी।

प्रशिक्षण के डर से ब्लाक क्वाडिनेटर बन बैठा नोडल अधिकारी टीम का सदस्य

खेल और युवा कल्याण विभाग में पदस्थ एक और ऐसा ही ब्लाक क्वाडिनेटर अपनी नौकरी और खेल विभाग की जिम्मेदारी को छोड़कर केवल अधिकारियों की आवभगत और चटुकारिता में अपना स्थान बनाए रखा है, जबरजस्ती की योजनाएं और काम लेकर अधिकारियों से संपर्क बनाने में माहिर यह क्वाडीनेटर खुद को जिला खेल अधिकारी की कुर्सी का असली वारिस समझता है । असल मामला यह है कि खेल विभाग में पदस्थ और मलाई खा रहे ब्लाक क्वाडिनेटर को ये ही नही पता की वे किस खेल में पारंगत हैं कभी वो कराते का ज्ञान बांटते नजर आते है, तो कभी एथलेटिक्स की बारीकियां बताते हैं, कभी जूडो के राष्ट्रीय खिलाड़ी में मैडिलिस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाते है, तो कभी वॉलीबाल और कबड्डी जैसे खेलो में भी अपनी पारंगता को सिद्ध करते नजर आते हैं, परंतु वास्तविकता केवल यह है कि यह क्वाडिनेटर केवल चाटुकारिता में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। इनकी यदि कुंडली खोली जाए तो इनके लगभग सभी खेल प्रमाण पत्र फर्जी और आधारहीन साबित होंगे,और यदि वास्तविकता के साथ जांच टीम बनाई जाए तो निश्चित शासन को फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी लेना भी इनको भारी पड़ जाए और ये सलाखो के पीछे भी नजर आ सकते है,ऐसा सूत्र बताते हैं,तो फिर सूत्रों को आधार मानकर हम भी इनकी योग्यता संबधी जानकारी और प्रशिक्षण संबंधी जानकारी का खुलासा करवा ही लेते है ताकि बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके…… ?

मजे की बात तो यह है कि जिले में विधालयो और खेल विभाग में अच्छे और सीनियर प्रशिक्षक है,पीटीआई है,खेल अधिकारी हैं, वो बेचारे इस गर्मी में बच्चो के भविष्य की चिंता के साथ अपना पसीना बहा रहे हैं और सुबह,शाम प्रशिक्षण दे रहे हैं और वास्तव में जिन्हें प्रशिक्षण देना है वो केवल कूलर और पंखों के नीचे बैठकर सीनियर प्रशिक्षकों को ज्ञान दे रहे हैं ।

जानकर बताते है कि अभी ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए है जिसमे सीनियर पीटीआई को नोडल अधिकारियों की नियुक्त किया गया ये तो सर्वथा उचित है इन्हे होना भी चाहिए था परंतु खेल विभाग का एक अदना सा ब्लाक क्वाडिनेटर का इस टीम होना बहुत ही संशय का विषय बना हुआ है,जो की प्रशिक्षण के डर से अपनी चाटुकारिता के दम पर नाम जुड़वाकर नोडल अधिकारी टीम का सदस्य बना हुआ है,और उसी खेल विभाग के ग्रेड 1 कोच और ग्रेड 2 कोच चिलचिलाती धूप में प्रशिक्षण दे रहे है और ब्लाक क्वाडिनेटर प्रशिक्षण न देकर “साहबगिरी” में व्यस्त हैं। ऐसे लापरवाह और कर्तव्य के प्रति ( प्रशिक्षण के प्रति) उदासीन ब्लॉक क्वाडिनेटर को तत्काल प्रभाव से नोडल अधिकारी टीम के सदस्य से विस्थापित कर, इन्हे प्रशिक्षण कार्य में लगाकर इनकी विभिन्न योग्यताओं का लाभ बच्चों को दिलवाने के लिए खेल विभाग को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए अन्यथा यह “साहबगिरि” का मामला जल्द ही संचालनालय और खेल मंत्री मध्य प्रदेश के संज्ञान में जाने में समय नहीं लगेगा, कि सभी खेलो का ज्ञाता और जूडो का मेडलिस्ट खिलाड़ी से बना ब्लॉक क्वाडिनेटर शहडोल जैसे छोटे जिले में नही बल्कि भोपाल स्टेडियम में अपनी सेवाएं देना चाहिए ताकि ऐसे ब्लाक क्वाडिनेटर से बच्चे ट्रेनिंग लेकर ओलंपिक में मैडल ला सकें।

संपादक,भारत न्यूज टुडे।

By Editor

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