India’s partnership in new quad ‘i2U2’ adds new dimension

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन पद संभालने के बाद पहली बार इजरायल की यात्रा पर गए। इजरायल पश्चिम एशिया में अमरीका का सबसे महत्त्वपूर्ण सहयोगी है। बाइडन ने अपनी यात्रा के दौरान एक नए समूह ‘आइ2यू2’ के पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह नाम भी बड़ा दिलचल्प है। ‘आइ’ का मतलब है इंडिया और इजरायल और ‘यू’ का अर्थ है – यूएस और यूएई। भारत चार देशों के इस अनूठे समूह का हिस्सा है। इसे ‘पश्चिम एशियाई क्वाड’ नाम से भी जाना जाता है। भारत की अन्य तीनों देशों में प्रत्येक के साथ रणनीतिक साझेदारी है। पिछले वर्ष अक्टूबर में जब चारों देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई थी, तब पश्चिम एशिया में नए समूह के एजेंडे और उद्देश्य पर कुछ संदेह उत्पन्न हुआ था। हालांकि, 14 जुलाई के शिखर सम्मेलन से यह स्पष्ट हो गया कि ‘आइ2यू2’ का प्राथमिक एजेंडा आर्थिक है जिसमें नई पहल करते हुए छह विशेष क्षेत्रों – पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सकारात्मक एजेंडा तय करने और वैश्विक अनिश्चितताओं की स्थिति में व्यावहारिक मॉडल प्रदान करने के संदर्भ में नए समूह की प्रशंसा की है।

‘आइ2यू2’ में शामिल चारों सदस्य देश बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण बनने में, सार्वजनिक स्वास्थ्य और हरित प्रौद्योगिकियों के विकास में निजी क्षेत्र की पूंजी और विशेषज्ञता को गतिशीलता प्रदान करने के इच्छुक हैं। खाद्य सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा संबंधी दो महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं को मजबूत आकार देने के संदर्भ में वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग प्रतिनिधियों के बीच कई बैठकें भी हो चुकी हैं। जिसमे दोनों ही परियोजनाओं से भारत को फायदा होगा। खाद्य सुरक्षा परियोजना में यूएई दो बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। इस कोष से गुजरात और मध्य प्रदेश में एकीकृत खाद्य पार्कों का नेटवर्क विकसित किया जाएगा। साथ ही भोजन बर्बादी कम करने, उसे खराब होने से रोकने, ताजे पानी के संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को नियोजित करने के लिए जलवायु-स्मार्ट प्रौद्योगिकियों को भी शामिल किया जाएगा। भारत इसके लिए भूमि उपलब्ध कराएगा और इजरायल उन्नत हाइड्रोपोनिक्स तकनीक देगा। यह परियोजना ज्यादा खाद्यान्न उत्पादन तक ही सीमित नहीं है। इससे खाड़ी देशों और दक्षिण एशिया में खाद्य सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण भारत-यूएई खाद्य गलियारा परियोजना को भी नया आयाम मिलेगा। इस परियोजना में व्यापार बाधाओं की समीक्षा, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का सामंजस्य और परिवहन के लिए मानक बनाना भी शामिल है ताकि भारत से खाड़ी देशों में खाद्य उत्पादों का प्रवाह आसान किया जाये।

अमरीका, यूएई और इजरायल के जलवायु कृषि नवाचार मिशन में भारत के भी शामिल होने की संभावना है। यह परियोजना हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा में सुविधाओं की शृंखला उत्पन्न करेगी जिसमें उन्नत बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकी के साथ पवन और सौर ऊर्जा क्षमता भी शामिल है। यह परियोजना गुजरात के द्वारका में लगाई जाएगी। इसमें 330 मिलियन डॉलर का निवेश किया जाएगा। यूएई की कंपनियों के पूंजी और प्रौद्योगिकी प्रदाता के रूप में शामिल होने की उम्मीद है। इससे चीन पर मौजूदा निर्भरता कम होगी। इस नए समूह का आविर्भाव स्पष्ट रूप से अगस्त 2020 के अब्राहम समझौते के विकास के रूप में है। नया समूह एशिया में चीनी प्रभाव को नियंत्रित करने के अमरीकी प्रयासों को बढ़ावा देगा।

भारत में प्रस्तावित दो परियोजनाएं इस बात का प्रतीक हैं कि भारतीय कूटनीति ने उल्लेखनीय परिपक्वता प्रदर्शित की है। यह समूह नि:संदेह पश्चिमी एशियाई क्षेत्र में भारत को विश्वसनीय, रणनीतिक और विकासात्मक भागीदार के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। साथ ही पश्चिम एशिया में भारत और मुस्लिम देशों के बीच मजबूत साझेदारी भी अस्तित्व में आ सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *