Monkey pox also spreads even by touching the patient: देश में मंकीपॉक्स के अब तक दो केस पुष्टि हो चुके हैं… 

  • केरल के कोल्लम में 35 साल का युवक 15 जुलाई को मंकीपॉक्स से संक्रमित हुआ।
  • केरल के ही कन्नूर में तीन दिन बाद यानी 18 जुलाई को 31 साल के युवक को मंकीपॉक्स हुआ।
  • 75 से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स फैल चुका है। इसके केसेज लगातार बढ़ रहे हैं। इसको लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO, 21 जुलाई को एक बैठक करने वाला है। भारत सरकार इसकी विशेष निगरानी कर रही है 

इसलिए आज जरूरत की खबर में हम जानेंगे कि मंकीपॉक्स होता क्या है, इसकी पहचान क्या है,इसके दुप्रभाव क्या है इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए….

सवाल 1: क्या है मंकीपॉक्स?

जवाब: मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है, जिसमें चेचक (स्मॉल पॉक्स) जैसे लक्षण पाया जाता हैं।  यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। हालांकि यह अब तक चेचक से कम गंभीर है। इंसानों में पहली बार 1970 में मंकीपॉक्स मिला था।

सवाल 2: मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?

जवाब: डॉ. प्रभाकर तिवारी, इन्फॉर्मेशन एक्सपर्ट्स, CMHO भोपाल के मुताबिक निम्न लक्षण दिखते ही सतर्क हो जाएं…

  • बुखार।
  • शरीर में दर्द।
  • ठंड लगना।
  • थकान और सुस्ती।
  • मांसपेशियों में दर्द।
  • बुखार के समय बहुत ज्यादा खुजली वाले दाने उभर सकते हैं।
  • चेहरे, हाथ और शरीर के बाकी हिस्सों पर चकत्ते और दाने भी निकल सकते हैं।

फिजीशियन और इंफेक्शन स्पेशलिस्ट डॉ. विक्रांत शाह से जानते है मंकीपॉक्स कैसे फैलता है

मंकीपॉक्स एक जूनोसिस डिजीज है। यह जानवर से इंसानों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि…

यह बंदर के साथ ही चूहा, गिलहरी जैसे जानवरों से भी फैलता है।
यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंख, नाक और मुंह के जरिए भी फैल सकता है।
मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी यह फैलता है।

लक्षण दिखते ही टेस्ट करवाएं

ICMR की साइंटिस्ट डॉ. अपर्णा मुखर्जी के मुताबिक लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। हमें तेज बुखार, शरीर में दर्द, चकत्ते आदि जैसे असामान्य लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। खासकर उन्हें जिन्होंने मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा हाल ही में की है।

मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते ही उनमें से निकलने वाले तरल पदार्थ यानी फ्लुइड के जरिए सैंपल टेस्ट करवाएं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यानी NIV इन वायरसों की टेस्टिंग के लिए रजिस्टर्ड लैब है।

मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें तो फिजिकल कॉन्टैक्ट से बचें- WHO, CDC और UKHSA

  • WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, Monkey pox सेक्शुअल रिलेशन बनाने से भी फैल सकता है। समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है।
  • CDC यानी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, संक्रमित इंसान से गले लगना, किस करना और फेस-टु-फेस कॉन्टैक्ट करना संक्रमण का कारण बन सकता है।
  • UKHSA यानी UK हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी का कहना है कि ब्रिटेन में मिले मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामलों में मरीज खुद को ‘गे’ या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई कर चुके हैं।
    यहां ध्यान देने की बात है कि मंकीपॉक्स सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज यानी STD नहीं है, लेकिन यह प्रोलॉन्ग्ड स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट यानी ज्यादा देर तक एक-दूसरे से कॉन्टैक्ट में रहने की वजह से तेजी से फैलता है। इस वजह से यह उन लोगों में तेजी से फैला है, जो मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के साथ फिजिकल कॉन्टैक्ट में रहे हैं।

सवाल 3: किन लोगों को मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा है?

जवाब: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा खतरा है। इन लोगों के लिए ये वायरस गंभीर हो सकते हैं। इसके साथ बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग और 5 साल से छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आ सकते हैं।

सवाल 4: 5 साल से कम उम्र के बच्चे मंकीपॉक्स से कैसे बच सकते हैं?

जवाब: इन 4 बातों का ख्याल रखें-

  • यदि आपके बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो उसका खानपान ठीक करें।
  • बच्चे को फिजिकल एक्टिविटी करवाएं, दिनभर कम्प्यूटर या मोबाइल पर गेम न खेलने दें।
  • बच्चे के शरीर पर दाने दिख रहे हैं और उसे बुखार है, तो घरेलू उपाय न करें, डॉक्टर से संपर्क करें।
  • बच्चे को अनजान और बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से रोकें।
    इससे उसकी इम्यूनिटी मजबूत होगी। इम्यूनिटी अच्छी होगी तो वायरल इंफेक्शन से बच्चे को खतरा कम होगा और अगर वो बीमार पड़ता भी है तो जल्दी रिकवर होगा।

जरूरी बात- मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड (इंफेक्शन से सिम्प्टम्स तक का समय) आमतौर पर 7-14 दिनों का होता है, लेकिन यह 5-21 दिनों का भी हो सकता है।

इन देशों में मंकीपॉक्स के मामले आ चुके

भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, कैनरी द्वीप, इजराइल, स्विट्जरलैड सहित 75 से अधिक देश।

चलते-चलते जान लीजिए क्या है मंकीपॉक्स का इलाज

WHO की वेबसाइट के अनुसार फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई ठोस इलाज नहीं है, लेकिन चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ 85% तक असरदार साबित हुई है। चेचक की वैक्सीन अभी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।

By Editor

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