मेरा रंग दे बसन्ती चोला ,और वन्दे मातरम ,इंकलाब जिंदाबाद के नारा कोई नारा नही बल्कि आजादी के दीवानों की ऊर्जा का संचार है और वही ऊर्जा का संचार समाज मे,युवाओं में करने के लिए दिनांक 25 मार्च 2022,शाम 6 बजे तहसील ग्राउंड कालेज तिराहा बुढ़ार में शहीद भगतसिंह यूथ सोसाइटी एंड फाउंडेशन बुढ़ार/धनपुरी का भव्य आयोजन किया जाना है, विदित हो कि यह कार्यक्रम लगभग 10 वर्षो से शहीदो की शहादत को याद करने के लिए किया जाता है।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि समाज और युवा वर्ग में राष्ट्र के प्रति और भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी उन्हें सम्मान से याद किया जावे और सही इतिहास की जानकारी मिल सके।

यह कार्यक्रम 23 मार्च 1931 में स्वतन्त्रता की अलख जगाने वाले शहीद भगतसिंह के सगे भतीजे, चन्द्रशेखर आजाद के प्रपौत्र,महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोष की पौत्री, तात्या टोपे के पौत्र, शहीद अशफ़ाक़ जी के पौत्र,भारतीय सेना के जवान इस कार्यक्रम को संजोते है और शहीदो को श्रधांजलि अर्पित की जाती है।

एक शाम शहीदो के कार्यक्रम में इस बार फरुखाबाद से बॉबी दुबे अशोक पूनिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष शहीद भगतसिंह ब्रिगेड़ भारत इस कार्यक्रम में रहेंगे, बाबी दुबे क्रांतिकारी शहीद पण्डित राम नारायण आजाद के पौत्र है,पण्डित जी को फरुखाबाद में और क्रांतिकारी के बीच आजाद नाम से मशहूर थे,पण्डित जी के घर पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद,बोष जी,जैसे बड़े क्रांतिकारी का घर पर आना होता था।

आइये जानते हैं पण्डित रामनारायन आजाद को

मां भारती के अमर सपूत चंद्रशेखर आजाद की तरह वह भी आजादी के दीवाने थे। 16 साल की अवस्था में ही भारत माता के जयघोष के साथ अंग्रेजों को ललकार दिया। गोरों पर फाय¨रग कर थानेदार की हत्या कर दी। दिल में आजादी की धधकती ज्वाला की ‘लौ’ बढ़ी तो कविताओं के माध्यम से अंग्रेज सरकार के खिलाफ आक्रोश के स्वरों को क्रांति की धारा में बदलने में जुट गये। बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी योगेश चंद्र चटर्जी के साथ वह अपने घर पर ही क्रांतिकारियों के लिए बम बनाने लगे। देश प्रेम, वीरता और साहस के पर्याय अमर शहीद क्रांतिकारी पं.रामनारायण ‘आजाद’ को उनकी जयंती पर आखिर कौन सलाम नहीं करना चाहेगा।

सरफरोशी दिल में है तो और सिर पैदा करो, नौजवानों ! ¨हद में फिर से गदर पैदा करो। फूंक दो बरबाद कर दो आशियां अंग्रेज का, अब तो दिल में हूक उठती कुछ करो या फिर मरो।’ देश भक्ति के अपने इसी गीत से युवाओं में क्रांति की धारा सींचने पर 1921 को उन्हें 6 माह की सजा हुई। एक और ‘आजाद’ क्रांतिवीर रामनारायण दुबे का जीवन देश को विदेशी दासता से मुक्त कराने की गौरवमयी गाथा है। 18 अक्टूबर 1898 में उनका जन्म शहर के साहबगंज चौराहे के पास शिव मंदिर परिसर स्थित मकान में उस मां बादामो देवी की कोख से हुआ, जिन्होंने लोगों से चंदा एकत्र कर गांधीजी को भेंट किया और स्वाधीनता आंदोलन में खुशी-खुशी जेल की सलाखों के पीछे रहने को तनिक भी न घबराईं।

1930 के दशक में क्रांतिकारियों का आंदोलन पूरे देश में चरम पर था। अंग्रेजों के खुफिया विभाग ने आजाद को क्रांतिकारी घोषित कर दिया। कई जिलों के क्रांतिकारियों को वह अपने घर पर, गंगा किनारे ऐतिहासिक विश्रांतों व अन्य स्थानों पर ठहराने लगे। बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी ¨हदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य योगेश चंद्र चटर्जी का बंगाल में वारंट चल रहा था। सुभाष चंद्र बोस ने चटर्जी को रामनारायण ‘आजाद’ के पास फर्रुखाबाद भेज दिया। वह बम बनाने में माहिर थे। आजाद ने अपने घर पर ही बम बनाने की जिम्मेदारी योगेश चंद्र चटर्जी को दे दी। उन्होंने अन्य क्रांतिकारियों को भी बम बनाने के कार्य में जोड़ लिया। राजा तिर्वा का खजाना भी लूटा। खजाने की धनराशि से ही क्रांतिकारियों को ठहराने के लिए स्वराज कुटीर भवन बना। 1926 में घर से गिरफ्तारी पर एक वर्ष व 1930 में नमक आंदोलन में दो वर्ष 6 माह सजा हुई। 1932 में 6 माह और फिर 1942 में वह चार साल नजरबंद रहे।

देख न सके स्वाधीनता की पहली किरण

भारतीयों के दिल में परतंत्रता से मुक्ति का बीज बोकर वह स्वाधीनता से चार दिन पूर्व ही दुनिया से विदा ले गये। 10 अगस्त 1947 को उनके घर पर ही एक गद्दार ने सीने में गोली मार दी। 11 अगस्त को स्वाधीनता के इस दीवाने का निधन हो गया। इतिहासकार डा.रामकृष्ण राजपूत का कहना है कि फर्रुखाबाद के रामनारायण दुबे ही वह दूसरे आजाद थे, जिन्होंने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए।

अभी हाल ही में भारत सरकार ने पण्डित रामनारायन आजाद के पोते बाबी दुबे को 157 पेज की फ़ाइल दी है जो आजाद के बारे मे बताती हैं।

अपील-

फाउंडेशन के सदस्यों ने समाज के हर सदस्य से इस कार्यक्रम में आने के लिए अपील की है,और खासकर परिवार के साथ साथ बच्चो को भी इस शहीद दिवस पर कार्यक्रम में लाने की अपील की है।

शैलेन्द्र सराफ
अध्यक्ष, शहीद भगतसिंह यूथ सोसाइटी एंड फाउंडेशन

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